SIKHI AWARENESS & WELFARE SOCIETY SIKHI AWARENESS & WELFARE SOCIETY Author
Title: चलो वीरो ! अब रखड़ी आ गई : इंदरजीत सिंह , कानपुर
Author: SIKHI AWARENESS & WELFARE SOCIETY
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चलो वीरो ! अब रखड़ी आ गई . माता गुजरी , बीबी भानी और बीबी भाग कौर की वारिस बच्चीऔ से " रखड़ी " बंधवा कर उनको इतनां कमज़ोर ऐला...
चलो वीरो ! अब रखड़ी आ गई . माता गुजरी , बीबी भानी और बीबी भाग कौर की वारिस बच्चीऔ से " रखड़ी " बंधवा कर उनको इतनां कमज़ोर ऐलान कर दो , कि पूरी दुनियाँ यह कहे कि गुरु कि यह सिंघणीआं है , जो इस काबिल भी नही है , कि अपनी हिफाजत खुद कर सकें.
और वीरो ! आप तो बहनें से " रखड़ी " बंधवा कर बन जाउगे " तीस मार खां " ? वैसे तो चांहे आप खुद चूहों और बिल्लीं से डरते हो, हजार मील दूर बसती बहन की हिफाजत के लिए उस पर आये संकट के समय आप जरूर ही जाउगे .

सिख भाइयों ! हमारे गुरु साहब जी ने अपनी बच्चीऔ को " कौर " ( राजकुमारी ) की उपाधी दी है , और आप उनको दासियाँ बना रहे हो ? कया माँ की कोख से जनमी , ही हमारी बहन है ? क्या सड़क पर बदमाश से घिरी किसी बहन की हिफाजत , आप एक सिख हो कर नही करोगे ? सड़क पर बदमाशों से घिरी कोई अबला कया हमारी बहन बेटी नही है ? कया रखड़ी बंधवा के ही कोई स्त्री हमारी बहन बनती है ? यह कैसा चलन है ? जिससे आप ने कभी रखड़ी नही बंधवाई . क्या एक सिख को उस , बहन और माँ की इज्जत की रक्षा नही करनी चाहए ? कया ब्राह्मण के बनाए दो धागे बांधने से ही कोई स्त्री हमारी बहन बनती है ?


सिख भाइयों ! इस पाखंड दिवस को मान कर तुम , अपने गुरु से तो बेमुख हो ही गये हो ,साथ ही साथ ब्राह्मण की बनाई रीतीअो का भी तुम शिकार हो चुके हो , लेकिन एक बात याद रखनां ! ब्राह्मण का दिया हुआ यह " तीस मार खां " वाला "बहादुरी का लाईसेंस" केवल एक वर्ष तक का लिए ही "वेलिड" है . अगली रखड़ी आते आते तुमने " तीस मार खां " की जगह फिर से " चिड़ी मार खां " बन जाना है .यदि दो धागो को बांधने से ही कोई पुरुर्ष बहादुर बन सकता , तो शशत्र रखने की किया जरूर थी .


खालसा जी ! ! अगर गुरु नानक साहब जी ने ब्राह्मण के बनाये धागे "जनेऊ" को सवीकार नही किया था , तो तुमने उसका बनाया हुआ यह धागा स्वीकार किस तरह से कर डाला ?
अपनी बहनो से प्यार करो , उनके दुख दर्द में भागीदार बनो , लेकिन इस धागो को स्वीकार कर के गुरु नानक की शिक्षा का अपमान मत करो. खालसा जी ! बांहमण वाद के जिस पिंजरे से निकालने में हमारे गुरूअो ने 250 वर्श लगा दिए . हम खुद ही उस पिंजरे में कैद होते चले जा रह है .
- इंदरजीत सिंह , कानपुर
www.facebook.com/inder.j.singh.7

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